Typhoid In Hindi जानेगे इसमें, टाइफाइड यह एक बैक्टीरिया है जो साल्मोनेला टाइफी जीवाणु के कारण होता है यह आमतौर पर दूषित खाना दूषित पानी से फैलता है एक बार टाइफाइड के बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाते है तो वह बढ़ाते ही जाते है एवं रक्त में फैल जाते है और टाइफाइड को आंतो का बुखार भी कहते है टाइफाइड एक जानलेवा बीमारी भी साबित हो सकती है यह मुख्य रूप से गंदगी के कारण फैलती है टाइफाइड का मुख्य असर मरीज की आंतो पर होने की वजह से इसे आंतो का बुखार भी कहते है Typhoid In Hindi टीकाकरण और दवाइयों से इसका सही इलाज किया जा सकता है लेकिन इसमें परहेज का भी उतना ही महत्व है जितना की इलाज का क्योकि यह आंतो से संभंधित Typhoid In Hindi बीमारी है तथा आपकी आंतो को आराम मिले ऐसा भोजन ग्रहण करना चाहिए आईये देखते है Typhoid In Hindi
टाइफाइड बार – बार क्यों होता है
टाइफाइड खान – पान के जरिये ही आपके अंदर प्रवेश करता है और यहा से ही यह बार – बार होने लगता है अगर आपको यह पता चल गया की आपके खाने के वजह से यह संक्रमण आपको हो रहा है तो आप क्या करेंगे हाथ धो के खाएंगे लेकिन बाद में और एक इसका कारण होता है जो अगर आपने नहीं समझा तो उसके बाद भी आप खुद सावधानी रख रहे है इसके बावजूद भी यह संक्रमण आपको बार – बार हो सकता है तो वह क्या कारण है देखते है यदि आप बाहर का खाना ज्यादातर खाते है तो यह संक्रमण किसी और के जरिये भी हो सकता है कोई ऐसा व्यक्ति है जिसे यह संक्रमण है अगर उसने अच्छे से हाथ नहीं धोया जो खाना बनाने वाला व्यक्ति है जो परोसने वाला व्यक्ति हैं अगर उसने अच्छे से हाथ नहीं धोए तो भी यह संक्रमण आप तक पहुंच सकता है |
टाइफाइड कितने दिन तक रहता है
आमतौर पर टाइफाइड बुखार का इलाज सही समय पर किया जाये तो 8 से 10 में यह ठीक हो सकता है लेकिन अगर इलाज न किया जाए या लापरवाही की जाए तो यह तीन हफ्तों से अधिक भी रह सकता है
टाइफाइड के लक्षण (symptom of typhoid)
- तेज बुखार
- सर में दर्द
- भूक न लगना
- पेट का फूलना
- वजन का अचानक काम होना
- साथ ही आपके आस – पास टाइफाइड के मरीज होना
- खान से बदबू आना
ऐसी परिश्थिति आप अपना टाइफाइड का टेस्ट करवाए एवं जल्द से जल्द उसका उपचार एवं परहेज ले अथवा अपना उचित आहार ले आईये इसके उपचार देखते है
टाइफाइड से बचाव के उपाय एवं उपचार
1. पहली चीज़ आपको ध्यान रखनी है की इस संक्रमण के दौरान आपमें ऊर्जा की कमी हो जाती है और शरीर बहुत कमजोर हो जाता है तो ऐसा आहार आपको लेना है जिससे आपको ऊर्जा मिले और उसके लिए आपको उबले हुए चावल उबले हुए आलू साबुत गेहू के ब्रैड एवं दूध से बानी चीज़ो को ग्रहण कर सकते है यह आहार ऊर्जा बढ़ाने में सहायता करेगा |
2. इसके दौरान पानी की भी बहुत कमी हो जाती है इसके लिए ग्लूकोस का सेवन अच्छी मात्रा में करना चाहिए और इसके साथ आप इलेक्ट्रोल का भी सेवन कर सकते है इसे पानी में मिलाकर रखिये एवं जब भी आपको प्यास लगे आप इलेक्ट्रोल के पानी को पिए इसके आलावा आप छाछ , निम्बू पानी , फलो के रस जो की घर के हो आप इसका सेवन करके आप पानी की कमी को पूरा कर सकते है |
3.अगली चीज़ जो आपको खान में लेनी है वह ये की जो आपको ताकत दे एवं पचाने में आसान हो क्युकी यह आंतो का बुखार हैं इसीलिए जिससे आंतो को आराम मिले आप वहीं पोषण ले इसमें आप पतली मुंग दाल या फिर मसूर की दाल का सेवन करे साथ ही इसमें साबूदाना की पतली बनी खीर का भी सेवन कर सकते है दिन में आप नमकीन लस्सी या फिर मिट्ठी लस्सी का सेवन कर सकते है साथ ही एक चीज़ का ध्यान रखनी चाहिए की कम फैट वाला खाना खाये ताकि आंतो को आराम मिल |
टाइफाइड में परहेज
- मक्का , शक्करकंद , कटहल , बेसन , घी , तेल , भूरे चावल आदि का सेवन आपको नहीं करना है |
- खटाई , लाल मिर्च , सिरका , गर्म मसाला , मिर्च का सॉस यह भी नहीं खाना है |
- अंडे या गर्म चीजों कभी सेवन नहीं करना है |
- मांस , मछली , आचार , अधिक मसालेदार सब्जी भी नहीं खाना है |
- रिफाइन्ड या प्रोसेस्ड फ़ूड, पेकिंग का खाना से भी परहेज रखना है |
- कैफीन युक्त चीजे जैसे कोको , चाय , चॉकलेट , कोफ़ी , कोला सॉफ्ट ड्रिंक, एनर्जी ड्रिंक आदि से भी दुरी बना के रखे
टाइफाइड में चाय या दूध पीना चाहिए या नहीं ?
टाइफाइड में चाय का सेवन ज्यादा नहीं करना चाहिए और नहीं भी पी जाये तो ज्यादा बेहतर होगा सिमित मात्रा में ले सकते है आमतौर पर हर्बल चाय ले सकते है जिससे दर्द में रहत मिलेगी और शरीर में भी पानी की कमी नहीं होगी आप चाय की जगह काढ़ा ले सकते है काढ़ा चाय के मुकाबले ज्यादा बेहतर है |
टाइफाइड में दूध का सेवन अच्छा नहीं माना जाता ऐसा इसलिए क्योकि टाइफाइड में रोगी की आंत पहले से ही प्रभावित है जिससे को ढीला मल जैसे लक्षण महसूस होते है अगर ऐसा व्यक्ति दूध का सेवन करता है तो इससे दस्त के लक्षण गंभीर हो सकते है इससे मरीज को काफी परेशानी हो सकती है अगर कुछ मामलो में डॉक्टर दूध का सुझाव देते है तो उन्हें काफी सावधानी बरतने की सलाह भी दी जाती है जिसमे दूध के अंदर फेट नहीं के बराबर होता है इसलिए संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए कम फेट वाले दूध की सलाह दी जाती है |
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